One of our student coordinators, Varsha, shares her thoughts about the importance of learning any language.

रफ़्तार से दौड़ती यह ज़िंदगी और इस ज़िंदगी में ‘ज़बान’ की अहमियत बहुत कम लोग समझ पाते हैं ।

ज़बान ही तो है जो कभी नज़रों में उठा देती है और कभी नज़रों से गिरा देती है । कभी ख़ुशी देती है, कभी दर्द । लफ़्ज़ों का खेल ही समझ लीजिए इसे — ज़बान एक, लेकिन अहसास अलग अलग…

ना जाने कितनी ही भाषाएँ बोली जाती हैं इस दुनिया में । हज़ार तरीक़े पहले से ही मौजूद हैं एक ही बात को कहने के ।

कितनी मज़ेदार बात है ना — जब उर्दू में ग़ज़ल कही जाती है तो हिंदी बोलने वालों की ज़बान पर भी वाह – वाह और चेहरे पर मुस्कान आ जाती है । कुछ ऐसा ही रिश्ता है हिंदी-उर्दू के दरमियाँ ।

किसी के भी रंग और ढंग में ढलने के लिए, उनकी ज़बान से वाक़िफ़ होना ज़रूरी है । अपनी बातों को कैसे रखना है, ये सीखना ज़रूरी है । चाहे ज़बान कोई भी हो, हिंदी, उर्दू, अँग्रेज़ी, मराठी, फ़ारसी, हर एक की बात निराली है ।

किसी भी ज़बान को सीखने के लिए ज़रूरी है उसकी grammar (व्याकरण) को समझना । क्योंकि अगर व्याकरण सही ना हो तो चाहकर भी हम अपनी बात को किसी के सामने सही तरीक़े से नहीं रख सकते हैं ।बात चाहे कुछ समझने की हो, समझाने की हो, दिल में और शहर दोनो में अपनी जगह और पहचान बनाने की हो, भाषा हमेशा से ही एक अहम किरदार निभाती आई है ।

हाँ, यह सच है कि किसी भी नयी भाषा को सीखना शुरू में पहाड़-सा लगता है, लेकिन अगर एक अच्छा अध्यापक (teacher) साथ हो और उसके सीखाने का तरीक़ा आसान और साफ़ हो तो सब आसान हो जाता है ।

ऐसे ही कुछ गुणी, होशियार अध्यापकों के साथ ZABAAN SCHOOL FOR LANGUAGES आपके शहर MUMBAI में आ रहा है… आप सबका नई-नई भाषाओं से परिचय (introduction) कराने के लिए !